
यहाँ महशर आफ़रीदी के सभी शेरों का Collection उपलब्ध है।
ज़मीं पर घर बनाया है मगर जन्नत में रहते हैं
हमारी ख़ुश-नसीबी है कि हम भारत में रहते हैं
~ महशर आफ़रीदी
मुझे जिस हाल में छोड़ा उसी हालत में पाओगी
बड़ी ईमान-दारी से तुम्हारा हिज्र काटा है
~ Mehshar Afridi
‘अक़्ल और ‘इश्क़ लड़ते रहे देर तक
‘अक़्ल मारी गई ‘इश्क़ ज़िंदा रहा
~ Mehshar Afridi
तुम मुझे अपनी क़सम दे कर कहो
‘आफ़रीदी’ आप सिगरेट छोड़ दें
~ Mehshar Afridi
तुम्हारे हुस्न को कब तक वरक़ वरक़ पढ़ते
सो एक रात में पूरी किताब पढ़ डाली
~ Mehshar Afridi
वो कुछ ग़लत नहीं था हमीं बेवक़ूफ़ थे
शीशे को साफ़ करते रहे इस तरफ़ से हम
~ Mehshar Afridi
जब तुम्हारी ये मातमी आँखें
मुस्कुराती हैं शोर थमता है
~ Mehshar Afridi
उस की मग़रूर हवा तेज़ क़दम चलती रही
लौ लरज़ती ही रही मेरी पशेमानी की
~ Mehshar Afridi
नेवला और सांप दोनों लड़ते लड़ते थक गए
इक तमाशा कर के सब पैसे मदारी ले गया
~ महशर आफ़रीदी
अपने मे’यार से नीचे तो मैं आने से रहा
शेर भूखा हूँ मगर घास तो खाने से रहा
~ महशर आफ़रीदी
ऐसे हालात से मजबूर बशर देखे हैं
अस्ल क्या सूद में बिकते हुए घर देखे हैं
हमने देखा है वज़ादार घरानों का जवाल
हमने सड़कों पे कई शाह ज़फ़र देखे है
~ महशर आफ़रीदी
सबसे बेज़ार हो गया हूँ मैं
ज़ेहनी बीमार हो गया हूँ मैं
कोई अच्छी ख़बर नहीं मुझ में
यानी अख़बार हो गया हूँ मैं
~ महशर आफ़रीदी
जगह की क़ैद नहीं थी कोई कहीं बैठे
जहाँ मक़ाम हमारा था हम वहीं बैठे
अमीर-ए-शहर के आने पे उठना पड़ता है
लिहाज़ा अगली सफ़ों में कभी नहीं बैठे
~ महशर आफ़रीदी