Jaun Elia – Gazal (170 ग़ज़ल) Best Shayri Collection – जौन एलिया

Jaun Elia – Gazal (170 ग़ज़ल) Best Shayri Collection – जौन एलिया

Jaun Elia जौन एलिया

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न तो दिल का न जाँ का दफ़्तर है
ज़िंदगी इक ज़ियाँ(बरबादी) का दफ़्तर है

पढ़ रहा हूँ मैं काग़ज़ात-ए-वजूद
और नहीं और हाँ का दफ़्तर है

कोई सोचे तो सोज़-ए-कर्ब-ए-जाँ(सोज़ = जलन/दर्द, कर्ब = पीड़ा, जाँ = आत्मा)
सारा दफ़्तर गुमाँ(गुमाँ = शक/संदेह) का दफ़्तर है

हम में से कोई तो करे इसरार(गुमाँ = शक/संदेह)
कि ज़मीं आसमाँ का दफ़्तर है

हिज्र ता’तील-ए-जिस्म-ओ-जाँ है मियाँ(हिज्र = जुदाई, ता’तील = छुट्टी/काम रुकना, जिस्म-ओ-जाँ = शरीर और आत्मा)
वस्ल जिस्म और जाँ का दफ़्तर है(वस्ल = मिलन)

वो जो दफ़्तर है आसमानी-तर
वो मियाँ जी यहाँ का दफ़्तर है

है जो बूद-ओ-नबूद का दफ़्तर(बूद-ओ-नबूद = होना और न होना, अस्तित्व और अनस्तित्व)
आख़िरश ये कहाँ का दफ़्तर है

जो हक़ीक़त है दम-ब-दम की याद
वो तो इक दास्ताँ का दफ़्तर है

हो रहा है गुज़िश्तगाँ का हिसाब
और आइंदगाँ का दफ़्तर है(आइंदगाँ = आने वाली पीढ़ियाँ)
~ Jaun Elia