
यहाँ तहज़ीब हाफ़ी के सभी शेरों का Collection उपलब्ध है।
तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते हो
तो फिर ये बताओ कि तुम उस की आँखों के बारे में क्या जानते हो
ये जुग़राफ़िया फ़ल्सफ़ा साईकॉलोजी साइंस रियाज़ी वग़ैरा
ये सब जानना भी अहम है मगर उस के घर का पता जानते हो
~ तहज़ीब हाफ़ी
ये दुक्ख अलग है कि उससे मैं दूर हो रहा हूँ
ये ग़म जुदा है वो ख़ुद मुझे दूर कर रहा है
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूँ मैं ताज़ा ग़ज़लें
ये तेरा ग़म है जो मुझको मशहूर कर रहा है
~ तहज़ीब हाफ़ी
क्या ग़लत-फ़हमी में रह जाने का सदमा कुछ नहीं
वो मुझे समझा तो सकता था कि ऐसा कुछ नहीं
इश्क़ से बच कर भी बंदा कुछ नहीं होता मगर
ये भी सच है इश्क़ में बंदे का बचता कुछ नहीं
~ तहज़ीब हाफ़ी
मेरी नक़लें उतारने लगा है
आईने का बताओ क्या किया जाए
~ तहज़ीब हाफ़ी
वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता
~ Tehzeeb Haafi
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
~ Tehzeeb Haafi
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
~ Tehzeeb Haafi
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
~ Tehzeeb Haafi
तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ
समुंदरों से अकेले में बात करनी है
~ Tehzeeb Haafi
गले तो लगना है उस से कहो अभी लग जाए
यही न हो मेरा उस के बग़ैर जी लग जाए
मैं आ रहा हूँ तेरे पास ये न हो कि कहीं
तेरा मज़ाक़ हो और मेरी ज़िंदगी लग जाए
~ Tehzeeb Haafi
भरम रखा है तेरे हिज्र का वरना क्या होता है
मैं रोने पे आ जाऊँ तो झरना क्या होता है
मेरा छोड़ो मैं नइँ थकता मेरा काम यही है
लेकिन तुमने इतने प्यार का करना क्या होता है
~ Tehzeeb Haafi
ये फ़िल्मों में ही सबको प्यार मिल जाता है आख़िर में
मगर सचमुच में इस दुनिया में ऐसा कुछ नहीं होता
चलो माना कि मेरा दिल मेरे महबूब का घर है
पर उसके पीछे उसके घर में क्या-क्या कुछ नहीं होता
~ तहज़ीब हाफ़ी
अब उस जानिब से इस कसरत से तोहफ़े आ रहे हैं
कि घर में हम नई अलमारियाँ बनवा रहे हैं
~ तहज़ीब हाफ़ी
तपते सहराओं में सब के सर पे आँचल हो गया
उसने ज़ुल्फ़ें खोल दीं और मसअला हल हो गया
~ तहज़ीब हाफ़ी
मुझे आज़ाद कर दो एक दिन सब सच बता कर
तुम्हारे और उसके दरमियाँ क्या चल रहा है
~ तहज़ीब हाफ़ी
मेरे नाम से क्या मतलब है तुम्हें मिट जाएगा या रह जाता है
जब तुम ने ही साथ नहीं रहना फिर पीछे क्या रह जाता है
मेरे पास आने तक और किसी की याद उसे खा जाती है
वो मुझ तक कम ही पहुँचता है किसी और जगह रह जाता है
~ तहज़ीब हाफ़ी
उस लड़की से बस अब इतना रिश्ता है
मिल जाए तो बात वगैरा करती है
बारिश मेरे रब की ऐसी नेमत है
रोने में आसानी पैदा करती है
~ तहज़ीब हाफ़ी
मैं उस से ये तो नहीं कह रहा जुदा न करे
मगर वो कर नहीं सकता तो फिर कहा न करे
वो जैसे छोड़ गया था मुझे उसे भी कभी
ख़ुदा करे कि कोई छोड़ दे ख़ुदा न करे
~ तहज़ीब हाफ़ी
अब इन जले हुए जिस्मों पे ख़ुद ही साया करो
तुम्हें कहा था बता कर क़रीब आया करो
मैं उसके बाद महिनों उदास रहता हूँ
मज़ाक में भी मुझे हाथ मत लगाया करो
~ तहज़ीब हाफ़ी
ज़ेहन से यादों के लश्कर जा चुके
वो मेरी महफ़िल से उठ कर जा चुके
मेरा दिल भी जैसे पाकिस्तान है
सब हुकूमत करके बाहर जा चुके
~ तहज़ीब हाफ़ी
तुझको बतलाता मगर शर्म बहुत आती है
तेरी तस्वीर से जो काम लिया जाता है
~ तहज़ीब हाफ़ी
मैंने जो कुछ भी सोचा हुआ है, मैं वो वक़्त आने पे कर जाऊँगा
तुम मुझे ज़हर लगते हो और मैं किसी दिन तुम्हें पी के मर जाऊँगा
~ तहज़ीब हाफ़ी
मेरे आँसू नही थम रहे कि वो मुझसे जुदा हो गया
और तुम कह रहे हो कि छोड़ो अब ऐसा भी क्या हो गया
मय-कदों में मेरी लाइनें पढ़ते फिरते हैं लोग
मैंने जो कुछ भी पी कर कहा फ़लसफ़ा हो गया
~ तहज़ीब हाफ़ी
अब ज़रूरी तो नही है कि वो सब कुछ कह दे
दिल मे जो कुछ भी हो आँखों से नज़र आता है
मैं उससे सिर्फ ये कहता हूं कि घर जाना है
और वो मारने मरने पे उतर आता है
~ तहज़ीब हाफ़ी
इसीलिए तो सबसे ज़्यादा भाती हो
कितने सच्चे दिल से झूठी क़समें खाती हो
~ तहज़ीब हाफ़ी
जैसे तुमने वक़्त को हाथ में रोका हो
सच तो ये है तुम आँखों का धोख़ा हो
~ तहज़ीब हाफ़ी
कौन तुम्हारे पास से उठ कर घर जाता है
तुम जिसको छू लेती हो वो मर जाता है
~ Tehzeeb Haafi
इसलिए ये महीना ही शामिल नहीं उम्र की जंत्री में हमारी
उसने इक दिन कहा था कि शादी है इस फरवरी में हमारी
~ Tehzeeb Haafi